MyPoems
Sunday 23 December 2018
फिर कोई बात हो
बातें तो कोई भी कर ले,
कोई कर के दिखाये,
फिर कोई बात हो।
रातें तो कोई भी सो ले,
कोई जग के दिखाए,
फिर कोई बात हो।
सपने तो कोई भी बो ले,
कोई हक़ीक़त बनाये,
फिर कोई बात हो।
'जेसी' तो कोई भी बन ले,
कोई 'राजेश' बन के दिखाए,
फिर कोई बात हो।
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