Wednesday 1 April 2015

यह मौसम और यह दूरी

मीठी मीठी बारिश में,
इंद्रदेव की साजिश में,
तुम याद आती हो.

छप छप करते पत्तों में,
झम झम बजते छत्तों में,
तुम याद आती हो.

जलते हुए अलाव में,
ठिठुरते हुए जमाव में,
तुम याद आती हो.

चिपकते हुए जोड़ों में,
सुलगते हुए होटों में,
तुम याद आती हो.

चढ़ती हुई टोपी में,
राह गुजरती गोपी में,
तुम याद आती हो.


तुम याद आती हो.
तुम याद आती हो.

बस अब आ जाओ ना!!


यह बात समझते क्यों नहीं

मन तड़प रहा है,
दिल सुलग रहा है,
यह बात समझते क्यों नहीं.

भावनाएं मर रही है,
निराशाएं बढ़ रही है,
यह बात समझते क्यों नहीं.

मैं रो रहा हूँ,
तिल तिल मर रहा हूँ,
यह बात समझते क्यों नहीं.

मुस्कान हठ रही है,
सिसकियाँ निकल रही है,
यह बात समझते क्यों नहीं.

मित्रता घट रही है,
पात्रता रह गई है,
यह बात समझते क्यों नहीं.

वक़्त निकल रह है,
दूरियां बढ़ा रहा है,
यह बात समझते क्यों नहीं.

CA Pankaj Jain.

न दिखाओ ज्यादा , न छुपाओ ज्यादा

जिसके पास नहीं है, वो दिखाने को उत्सुक है. जिसके पास है, वो छुपाने को उत्सुक है. जिसके पास ज्ञान नहीं है, वो बोलने को उत्सुक है. जिसके पास ज्ञान है, वो चुप रहने को उत्सुक है. जो चल नहीं सकता, वो दौड़ने को उत्सुक है. जो दौड़ नहीं सकता है, वो पसरने को उत्सुक है. न छुपाओ अधिक, न दिखाओ अधिक, ख़ुशी के लिए, बस जीने की जरुरत है. CA Pankaj Jain

Saturday 28 March 2015

LPG Subsidy - Give it UP

Hey Deedy, Don’t be Greedy.
Help the needy, Leave Subsidy.

Be more Kindy, Be Less Spendy.
Help the cloudy, Leave Subsidy.

Be more goody, Be Less Foody.
Help the broody, Leave Subsidy.

Be More hardy, Be Less tardy.
Help the saddy, Leave subsidy.


CA Pankaj Jain

               

              







http://capankajjain.blogspot.com/2015/03/lpg-subsidy-give-it-up.html